Saturday 13 August 2016

13 AUG 2016  

अंग दान दिवस

अंग दान दिवस

किसी व्यक्ति के जीवन में अंग दान के महत्व को समझने के साथ ही अंग दान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये सरकारी संगठन और दूसरे व्यवसायों से संबंधित लोगों द्वारा हर वर्ष 13 अगस्त को भारत में अंग दान दिवस मनाया जाता है। अंग दान-दाता कोई भी हो सकता है जिसका अंग किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रतिरोपण करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके। किसी के द्वारा दिये गये अंग से किसी को नया जीवन मिल सकता है।

अंग दान दिवस 2016

13 अगस्त शनिवार को पूरे भारत में अंग दान दिवस 2016 मनाया जायेगा।

अंग दान का महत्व

एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी समय किसी व्यक्ति के मुख्य क्रियाशील अंग के खराब हो जाने की वजह से प्रति वर्ष कम से कम 5 लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत हो जाती है। वो अभी भी जीना चाहते हैं क्योंकि वो अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन प्राकृतिक संकट की वजह से वो ऐसा कर नहीं पाते। उम्मीदों से ज्यादा एक जीवन जीने के उसके समय को बढ़ाने के द्वारा उसके सुंदर जीवन में अंग प्रतिरोपण एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। अंग प्रतिरोपित व्यक्ति के जीवन में अंग दान करने वाला व्यक्ति एक ईश्वर की भूमिका निभाता है। अपने अच्छे क्रियाशील अंगों को दान करने के द्वारा कोई अंग दाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है। अंग दान दिवस अभियान, जो 13 अगस्त को मनाया जाता है, एक बेहतरीन मौका देता है हर एक के जीवन में कि वो आगे बढ़े और अपने बहुमूल्य अंगों को दान देने का संकल्प लें।
चिकित्सा शोधकर्ताओं की ये लगन और मेहनत है जिन्होंने मानव जीवन में अंग प्रतिरोपण के साथ ही अंग दान के ऊपर सफलतापूर्णं परिणाम की प्राप्ति के लिये वर्षों तक कई असफलताओं के साथ प्रयोग किया। अंतत: उन्होंने अंग प्रतिरोपण के महत्वपूर्णं प्रक्रिया के ऊपर सफलता हासिल की। चिकित्सा उपचार के द्वारा किडनी, कलेजा, अस्थि मज्जा, हृदय, फेफड़ा, कॉरनिया, पाचक ग्रंथि, आँत वो अंग हैं जो सफलतापूर्वक प्रतिरोपित किये जा सकते हैं। इम्यूनों-सप्रेसिव ड्रग्स के विकास की वजह से अंग प्रतिरोपण और दान करने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो सकती है जिससे अंग प्राप्त कर्ता के जीवित रहने की दर बढ़ा सकता है।
आधुनिक समय में नयी तकनीक और उपचार के विकास और वृद्धि की वजह से अंग प्रत्यारोपण की जरुरत लगातार बड़े स्तर पर बढ़ रही है जिससे प्रति वर्ष और अंग दान की जरुरत है। अच्छी तकनीक और उपचार की उपलब्धता होने के वजूद भी मृत्यु-दर बढ़ रही है क्योंकि प्रतिरोपण लायक अंग की कमी है।

लक्ष्य

  • अंग दान की जरुरत के बारे में लोगों को जागरुक करना।
  • पूरे देश में अंग दान के संदेश को फैलाना।
  • अंग दान करने के बारे में लोगों की हिचकिचाहट को हटाना।
  • अंग दाता का आभार प्रकट करना।
  • अपने जीवन में अंग दान करने के लिये और लोगों को प्रोत्साहित करना।

कौन सा अंग दान किया जा सकता है?

  • किडनी
  • फेफड़ा
  • हृदय
  • आँख
  • कलेजा
  • पाचक ग्रंथि
  • आँख की पुतली की रक्षा करने वाला सफेद सख्त भाग
  • आँत
  • त्वचा ऊतक
  • अस्थि ऊतक
  • हृदय छिद्र
  • नसें
समाज में अंग दान की शुरुआत करने वाले बहुत से संस्थान और लोग हैं; उनमें से एक टाईम्स ऑफ इंडिया है जिसने इसकी पूर्ति और अंग दान की जरुरत के बारे में आँकड़ों सहित रोजाना असरदार और वास्तविक खबरों के द्वारा पूरे विश्व में अंग दान के संदेश को फैला रहें हैं। लोगों के बीच में टीओआई की खबर ने एक उम्मीद जगाई जिन्हें वास्तव में अंग प्रतिरोपण की जरुरत है। टीओआई ने “मृत्यु के बाद भी जीवन शुरु हो सकता है” के शीर्षक के तहत महान संदेश दिया। उसके अनुसार पूरे देश में ऐसे बहुत सारे व्यक्ति हैं जिनका कोई महत्वपूर्णं अंग खराब हो गया हो और उन्हें अपने जीवन को जारी रखने के लिये किसी दूसरे व्यक्ति के अंग की जरुरत हो। ब्रेन डेथ के बाद ही अंग दान की प्रक्रिया के द्वारा अंग प्रतिरोपण की जरुरत को पूरी की जा सकती है। लेकिन सिर्फ अफवाह और भ्रम की वजह से आज भी हमारे देश में अंग दान करने वालों की संख्या बहुत कम है। जिस किसी को भी आपके बहुमूल्य अंग की बेहद जरुरत है उसे अपना अंग दान देने के द्वारा अपने जीवन में अपने महान देश और परिवार के लिये आदर्श बने।
टाईम्स ऑफ इंडिया के अनुसार आँकड़े
पूरे देश में ज्यादातर अंग दान अपने परिजनों के बीच में ही होता है अर्थात् कोई व्यक्ति सिर्फ अपने रिश्तेदारों को ही अंग दान करता है। विभिन्न अस्पतालों में सालाना सिर्फ अपने मरीजों के लिये उनके रिश्तेदारों के द्वारा लगभग 4000 किडनी और 500 कलेजा दान किया जाता है। वो अपनी एक किडनी और ¾ अपने कलेजे का दान करते हैं (क्योंकि ये 6 हफ्तों बाद सामान्य स्थिति में आ सकता है)। चेन्नई के केन्द्र में सालाना लगभग 20 हृदय और फेफड़े प्रतिरोपित किये जाते हैं जबकि माँग बहुत ज्यादा है। प्रति वर्ष 2 लाख कॉर्निया प्रतिरोपण की जरुरत है जबकि सिर्फ 50000 दान किया जाता है। अपनी स्पष्टता की कमी और गलतफहमी की वजह से विषय के बारे में अधिक जागरुकता के बजाय भारतीय लोगों के द्वारा अंग दान की क्रिया में कमी है।

कहाँ और कैसे अंग दान किया जाये

अंग दान करने में देश की प्रमुख एनजीओ शामिल हैं:
  • मोहन संस्थान
  • अपना अंग दान संस्थान
  • शतायु
  • एक जीवन को उपहार
ऑनलाइन अंग रजिस्ट्री
जो अपनी इच्छा से अपना अंग दान करना चाहते हैं उनके लिये पूरे भारत में ऑनलाइन अंग रजिस्ट्री की एक सुविधा है। प्राप्तकर्ता के लिये अंग की जरुरत की प्राथमिकता के अनुसार भविष्य में दान किये गये अंग के सही इस्तेमाल के साथ ही उचित अंग दान की रजिस्ट्री को आश्वस्त करता है। 2005 में भारत में प्रतिरोपण रजिस्ट्री को भारतीय समाज अंग प्रतिरोपण ने शुरु किया था, 2009 में तमिलनाडु सरकार द्वारा शव प्रतिरोपण कार्यक्रम की शुरुआत हुई और उसके बाद स्वास्थ्य विभाग, 2012 में केरला सरकार, चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, तथा 2014 में राजस्थान सरकार के द्वारा। भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय अंग रजिस्ट्री के लिये दूसरी योजना है।
अंग दान-दाता कार्ड
मृत्यु उपरांत अंग दान करने के लिये अंग दान-दाता कार्ड पहुँच उपलब्ध कराती है। पूरे देश में जागरुकता फैलाने और अंग दान प्रतिज्ञा प्राप्त करने के लिये मोहन संस्थान द्वारा ये सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। पिछले कुछ वर्षों में, संस्थान ने अंग्रेजी और दूसरे भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में लाखों ऐसे कार्ड्स बाँटे हैं। 2012 के अंग दान मुहिम को (DAAN, एचसीएल टेक्नॉलाजी, चेन्नई पुलिस, अपोलो समुह अस्पताल, भारतीय चिकित्सा संस्थान, कदावर प्रतिरोपण कार्यक्रम के सहयोग से) डॉक्टर, पुलिस और कॉरपोरेट कर्मचारी से 12,900 से ज्यादा प्रतिज्ञाएँ प्राप्त हुई। जबकि 2013 में ये अभियान टीओआई (शतायु, गिफ्ट ए लाईफ, गिफ्ट योर ऑर्गन और मोहन संस्थान के सहयोग से) द्वारा चलाया गया जिसमें 50000 से ज्यादा अंग दान की प्रतिज्ञा प्राप्त हुई।

अंग दान के बारे में डर और अफवाह

कम जानकारी और जागरुकता के कारण अंग दान करने को लेकर लोगों के दिमाग के बहुत सारी झूठी बात और डर है। ज्यादातर लोगों के पास अंग दान करने को लेकर जागरुकता नहीं है जैसे कौन सा अंग दान किया जा सकता है, कब इसे दान किया जा सकता है, कैसे इसके लिये रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है आदि। अपने डर और मिथक या पारिवारिक दबाव की वजह से अंग दान करने के लिये अपनी स्वतंत्र इच्छा को नहीं दिखाते हैं या कुछ लोग अंग दान करने के इच्छुक नहीं होते हैं।
टाईम्स ऑफ इंडिया द्वारा अंग दान करने के लिये नाम लेने की प्रतियोगिता चलाई जा रही है
अपने फेसबुक एप के द्वारा अंग दान दाता के रुप में आपको फेसबुक.कॉम/टीओआईमाईटाईम्स से जुड़ना है और अपने परिवार और दोस्तों को भी इससे जुड़ने के लिये आमंत्रित करना है। 50 पहले दान-दाता (ज्यादा से ज्यादा नामों को शामिल होने के लिये बढ़ावा देना) को टाईम्स संस्थान की और से 10000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा।
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